भाजपा - बिहार प्रदेश


अवधेश होंगे सभापति, उपाध्यक्ष पद के लिए दो नामों पर विचार

Updated on: Fri, 03 Aug 2012 10:49 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, पटना
भाजपा के अवधेश नारायण सिंह बिहार विधान परिषद के अगले सभापति होंगे। बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा के अमरेंद्र प्रताप सिंह और विनोद नारायण झा के नाम पर विचार चल रहा है। दोनों पदों के लिए सोमवार को नामांकन होगा। श्री सिंह विधान परिषद के वरिष्ठ सदस्यों में से एक हैं। वे चौथी बार परिषद के लिए चुने गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि अवधेश नारायण सिंह को नामांकन के लिए कह दिया गया है। संभव है कि उनका निर्वाचन निर्विरोध हो। इधर, विधानसभा उपाध्यक्ष पर के लिए भाजपा अमरेंद्र प्रताप सिंह और विनोद नारायण झा के नामों पर विचार कर रही है। एक नम्बर पर अमरेंद्र प्रताप सिंह हैं। उनका नाम पहले भी इस पद के लिए चर्चा में आया था जब विधान परिषद के सभापति पद पर ताराकांत झा बिठाए गए थे। श्री झा के हटने के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष पद पर विनोद नारायण झा का नाम आया, ताकि मिथिलांचल में जातीय समीकरण पर प्रभाव न पड़े। इस बीच दो दिन पहले श्री झा को विधानसभा में भाजपा विधायक दल का सचेतक बना दिया गया। सचेतक को उप मंत्री का दर्जा हासिल है। संभव है कि इसी के चलते उन्हें उपाध्यक्ष पद से वंचित होना पड़े। राजद ने डा.रामानंद यादव को उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है। इस पद के लिए आठ अगस्त को चुनाव होगा। विधान परिषद के सभापति पद के लिए चुनाव की संभावना नहीं है। अवधेश नारायण सिंह अकेले उम्मीदवार होंगे और उनका निर्वाचन निर्विरोध होगा।



संजय झा जदयू में, बिफरी भाजपा

Updated on: Wed, 04 Jul 2012 09:47 AM

पटना । भाजपा नेता एवं पूर्व विधान पार्षद संजय झा मंगलवार को जदयू में शामिल हो गए। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। इससे भाजपाई बिफर गए हैं। उनके अनुसार 'यह चालबाजी व अवसरवादिता का अभूतपूर्व उदाहरण है। .. यह गठबंधन धर्म के खिलाफ भी है।' हालांकि श्री झा का कहना है कि वह सबसे बात करके, एक मायने में सबकी सहमति से जदयू में आए हैं।
राजग के 16 साल के इतिहास में पहली बार भाजपा से सदन में रह चुका कोई नेता पार्टी छोड़कर जदयू में शामिल हुआ। सदस्यता ग्रहण करने के पश्चात श्री झा ने कहा कि उनकी किसी भी दल के प्रति दुर्भावना नहीं है। दिल्ली एवं पटना में भाजपा के शीर्ष नेताओं को बताकर ही वह जदयू में शामिल हुए। इन नेताओं में अरुण जेटली से लेकर सुशील कुमार मोदी तक शामिल हैं। इनकी 'सहमति' प्राप्त करने के पश्चात ही वह जदयू में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जदयू में उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे।
वहीं जदयू के प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार श्री झा काफी दिन से जदयू में आने की सोच रहे थे। दरअसल, उन्होंने अपने विचारों को जदयू की विचारधारा की बेहद करीब माना है।
लेकिन भाजपाइयों ने इसे मुद्दा बना है। भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक विजय कुमार मिश्रा, विधायक विनोद नारायण झा तथा प्रदेश मंत्री मृत्युंजय झा ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है-'संजय झा ने जिस प्रकार से दल (भाजपा) से छलावा किया है, ऐसे लोगों से सभी दलों को सावधान रहने की जरूरत है। यह पदलिप्सा की पराकाष्ठा है। भाजपा ने उनका हमेशा सम्मान किया। उनकी बात मानी जाती रही। उनकी निष्ठा और मर्यादा भी कठघरे में है। उन्होंने गठबंधन धर्म का मजाक उड़ाते हुए जदयू की सदस्यता ग्रहण की है। उनको पार्टी के कार्यकर्ता किसी भी स्तर पर गठबंधन धर्म के तहत स्वीकार नहीं करेंगे, विरोध करेंगे। .. समय- समय पर दूसरे दलों के लोगों को तो राजनीतिक पार्टियां सदस्यता ग्रहण कराती हैं परंतु अपने ही गठबंधन दल के व्यक्ति को दूसरी पार्टी सदस्यता दे, यह गठबंधन धर्म के खिलाफ है। हमारा आग्रह है कि जदयू ऐसे लोगों के प्रति पुनर्विचार करना चाहिए।'
इधर, श्री झा के सदस्यता ग्रहण करने के समय मुख्यमंत्री के अलावा ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह, ग्रामीण कार्य मंत्री डा.भीम सिंह, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक, जदयू के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह, सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार, राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद खां, नीरज कुमार, संजय कुमार सिंह, उदयकांत चौधरी आदि मौजूद थे।